Chandigarh Administration challenges High Court order on 2008 Employee Housing Scheme in Supreme Court

2008 कर्मचारी आवास योजना पर चंडीगढ़ प्रशासन ने उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

Chandigarh Administration challenges High Court order on 2008 Employee Housing Scheme in Supreme Cou

Chandigarh Administration challenges High Court order on 2008 Employee Housing Scheme in Supreme Cou

Chandigarh Administration challenges High Court order on 2008 Employee Housing Scheme in Supreme Court- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के चंडीगढ़ प्रशासन को एक वर्ष के भीतर 2008 स्व-वित्तपोषण आवास योजना के तहत पात्र कर्मचारियों को फ्लैट प्रदान करने का निर्देश देने के पांच महीने बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने आदेश को चुनौती देते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है। 30 मई 2024 के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने यूटी को 2008 की दरों पर फ्लैट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। निर्माण की लागत का भुगतान कर्मचारियों को वर्तमान दरों पर किया जाना है।

योजना के क्रियान्वयन के लिए पूरी भूमि की लागत 7,920 रुपये प्रति वर्ग गज की दर पर रहेगी, जैसा कि 2008 में घोषणा की गई थी। यूटी ने एसएलपी में तर्क दिया है कि इससे लगभग 2,000 करोड़ का वित्तीय नुकसान होगा। यह भी कहा गया है कि विचाराधीन भूमि यूटी प्रशासन की है और सेक्टर 52, 53 और 56 में चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) को औपचारिक रूप से आवंटित नहीं की गई थी। इसके बावजूद, सीएचबी ने यह योजना बनाई थी कि भूमि आवंटित की जाएगी। याचिका में यह भी कहा गया कि सीएचबी ने आवेदकों से केवल पंजीकरण राशि एकत्र की थी। यूटी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हमें उम्मीद है कि मामला अगले कुछ दिनों में सूचीबद्ध हो जाएगा। परियोजना की नोडल एजेंसी सीएचबी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी, जो सूचीबद्ध होने का इंतजार कर रही है।

इस बीच कर्मचारी संघ ने भी जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। यह एक चेतावनी और एहतियाती नोटिस के रूप में कार्य करती है। इसमें अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह इसे दायर करने वाले पक्ष को दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई राहत न दे। योजना के तहत फ्लैट के लिए आवेदन करने वाले कर्मचारियों ने देरी पर निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि नौकरशाही आम आदमी के खिलाफ काम कर रही है। कर्मचारियों को बिना वजह परेशान किया जा रहा है। उनका कहना है कि हमारी गलती क्या है? हम आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। न्याय की प्रतीक्षा में 100 से अधिक कर्मचारी पहले ही मर चुके हैं।

भूमि की लागत 237 करोड़ से बढक़र 2,200 करोड़ हो गई

रिकॉर्ड के अनुसार, 2019 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने योजना के लिए 61.5 एकड़ भूमि की लागत लगभग 2,200 करोड़ निर्धारित की थी, जो 74,131 प्रति वर्ग गज थी। हालांकि, 2008 के कलेक्टर रेट के अनुसार, प्रति वर्ग गज दर 7,920 है, जो 61.5 एकड़ के लिए कुल 237 करोड़ के बराबर है। इस प्रकार, तीन बेडरूम वाले फ्लैट की संशोधित लागत लगभग 50 लाख होगी, दो बेडरूम वाले फ्लैट की कीमत लगभग 40 लाख होगी। एक बेडरूम वाले फ्लैट की कीमत लगभग 35 लाख होगी और एक कमरे वाले फ्लैट की कीमत लगभग 15 लाख होगी। यूं कहें कि यूटी के लिए लगभग 2,000 करोड़ का वित्तीय नुकसान। बता दें कि वर्ष 2008 में शुरू की गई योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) द्वारा सेक्टर 52, 53 और 56 में लगभग 4,000 फ्लैट बनाए जाने थे। इस परियोजना में सर्वेंट क्वार्टर के साथ 252 थ्री बीएचके फ्लैट, सर्वेंट क्वार्टर के साथ 168 दो बीएचके फ्लैट, 3,066 एक बीएचके फ्लैट और ग्रुप डी कर्मचारियों के लिए 444 सिंगल-रूम फ्लैट शामिल थे।